सः घोषः धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत् । नभः च पृथिवीं च एव तुमुलः व्यनुनादयन् ॥
अनुवाद
इस प्रकार [सब ओर से] शंख ध्वनि के भयंकर शोर से धरती और आकाश गूंज उठे| इस भयंकर शंख ध्वनि ने धृष्टराष्ट्र के पुत्रों अर्थात कौरवों के हृदय को विदीर्ण कर दिया |