(संजय ने धृष्टराष्ट्र से कहा) हे राजन! श्री हनुमान से चिन्हित ध्वज (कपिध्वज) से युक्त रथ पर सवार अर्जुन ने अपना धनुष उठाया और वाण साधने ही वाला था कि तभी कौरवों [की सेना] की ओर देखते हुए उसने ऋषिकेश श्री कृष्ण से यह शब्द कहे ||20||
व्याख्या
दोनों तरफ से शंख बज उठे थे, योद्धाओं में अपने धनुष वाण उठा लिए थे और युद्ध बस शुरू ही होने वाला था की तभी अर्जुन ने दोनों सेनाओं और युद्ध में आये योधाओं का निरिक्षण करने की इक्षा जाहिर की| अर्जुन ने श्री कृष्ण से रथ को दोनों सेनाओ के बीच ले जाने का आग्रह किया: