अध्याय 1 : दोनों सेनाओं का विवरण और अर्जुन का युद्ध से विषाद
अ 01 : श 28
अर्जुन उवाच दृष्टेवमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम् ॥ सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति ।
संधि विच्छेद
अर्जुन उवाच दृष्टेवा इमां स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम् ॥ सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति ।
अनुवाद
अर्जुन बोले- हे कृष्ण! युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इस स्वजनसमुदाय को देखकर मेरे अंग शिथिल हुए जा रहे हैं और मुख सूखा जा रहा है तथा मेरे शरीर में कम्प एवं रोमांच हो रहा है॥