अ 01 : श 29
वेपथुश्च शरीरे में रोमहर्षश्च जायते ॥
गाण्डीवं स्रंसते हस्तात्वक्चैव परिदह्यते ।
संधि विच्छेद
वेपथुः च शरीरे में रोमहर्षः च जायते ॥
गाण्डीवं स्रंसते हस्त त्वक् च एव परिदह्यते ।
मेरा शरीर कांप रहा है, मेरे रोंगटे खड़े हो गए हैं| गांडीव मेरे हाथ से सरका जा रहा है और मेरी त्वचा जैसे झुलस रही रही है|