अध्याय1 श्लोक31 - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

अध्याय 1 : दोनों सेनाओं का विवरण और अर्जुन का युद्ध से विषाद

अ 01 : श 31

न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे ॥
न काङ्‍क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च ।

संधि विच्छेद

न च श्रेयः अनुपश्यामि हत्वा स्वजनम् अहवे ॥
न काङ्‍क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च ।

अनुवाद

युद्ध में अपने स्वजनों को मारने में मैं कुछ भी कल्याणकारी (श्रेयकारी) नहीं देखता | हे कृष्ण! मैं [अपने स्वजनों को मारकर] न तो विजय चाहता हूँ, न राज्य और न ही सुख ।

व्याख्या