दोनों सेनाओं का विवरण और अर्जुन का युद्ध से विषाद
सांख्य योग
कर्म योग
ज्ञान योग
कर्म सन्यास योग
राज या ध्यान योग
अध्यात्म योग
अक्षर ब्रम्ह योग
राज विद्या राज गुह्य योग
विभूति योग
विश्व रूप दर्शन
भक्ति योग
पुरुष और प्रकृति
प्रकृति के तीन गुण
पुरुषोत्तम योग
दैवीय और दानवीय चरित्र
श्रद्धात्रयविभाग योग
मोक्ष सन्यास योग
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अ 01 : श 41
संकरो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च । पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः ॥
संधि विच्छेद
संकरः नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च । पतन्ति पितरः ह्येषां लुप्तपिण्ड उदक क्रियाः ॥
अवांछनीय संतान परिवार को नारकीय अवस्था की ओर ले जाते हैं और पारिवारिक परम्पराओं का अंत कर देते हैं| वैसे परिवार में पितर तर्पण (श्राद्ध) से वंचित हो जाते हैं जिससे उनका(पूर्वजो का) भी पतन हो जाता है|