अध्याय10 श्लोक26 - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

अध्याय 10 : विभूति योग

अ 10 : श 26

अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः ।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः ॥

संधि विच्छेद

अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः ।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः ॥

अनुवाद

सभी वृक्षों में मैं पीपल(अश्वत्थ) हूँ, देव ऋषियों में मैं नारद हूँ, गंधर्वों में मैं चित्ररथ हूँ और सिद्धों(सिद्ध पुरुषों) में मैं कपिल मुनि हूँ|

व्याख्या

इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने अपने दूसरी विभूतियों का वर्णन किया| वृक्षों में पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु(भगवान कृष्ण) का ही एक अंश है|
जैसा कि हम सभी जानते हैं पीपल के वृक्ष हमारे लिए अति पवित्र होता है, पीपल के वृक्ष में नियमित जल अर्पित करना एक पवित्र धार्मिक अनुष्ठान है|पीपल की किसी टहनी को भी गलती से पाँव तले लाना हमारे लिए गलत है, किसी भी प्रकार से पीपल की लकड़ी से बने कुर्सी, बिस्तर या टेबल का उपयोग वर्जित है| पीपल का वृक्ष पवित्र है इसी कारण मृत्यु के बाद अस्थियां दस दिनों तक पीपल के वृक्ष में भी टांगी जाती है| यह तों इसका धार्मिक पक्ष है लेकिन वातावरण के हिसाब से भी पीपल का वृक्ष चमत्कारिक वृक्ष है, एक अकेला पीपल का वृक्ष सौ से भी ज्यादा वातानुकूलित मशीन के बराबर काम काम करता है| दूसरे वृक्ष की अपेक्षा यह कही गुना ज्यादा ऑक्सीजन जैसा का उत्सर्जन करता है| इस वृक्ष के अनेकों लाभ हैं|

सभी सिद्ध पुरुषों, ज्ञानियों में कपिल मुनि सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं| कपिल मुनि ने ही सांख्य का सिद्धांत दिया था जो सनातन धर्म की ६ दर्शन में से एक है| भगवान कृष्ण की कई अवतारों में कपिल मुनि को श्री विष्णु(श्री कृष्ण) का ही एक अवतार माना जाता है|

इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण ने यह स्पस्ट किया कि देव ऋषियों में नारद और गंधर्वों में चित्ररथ उनकी ही विभूतियों में से एक हैं|