अक्षरों में मैं अकार हूँ, समासों में द्वंद्व[समास] हूँ | मै ही अक्षय काल(समय) हूँ और रचना करने वालों में मैं सभी दिशाओ में मुख वाला अर्थात ब्रम्हा हूँ |
व्याख्या
शब्दार्थ ------- धाता=निर्माण करने वाला, बनाने वाला विश्वतोमुख = सभी दिशाओं में मुख वाला अर्थात ब्रम्हा