दोनों सेनाओं का विवरण और अर्जुन का युद्ध से विषाद
सांख्य योग
कर्म योग
ज्ञान योग
कर्म सन्यास योग
राज या ध्यान योग
अध्यात्म योग
अक्षर ब्रम्ह योग
राज विद्या राज गुह्य योग
विभूति योग
विश्व रूप दर्शन
भक्ति योग
पुरुष और प्रकृति
प्रकृति के तीन गुण
पुरुषोत्तम योग
दैवीय और दानवीय चरित्र
श्रद्धात्रयविभाग योग
मोक्ष सन्यास योग
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अ 10 : श 36
द्यूतं छलयतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम् । जयोऽस्मि व्यवसायोऽस्मि सत्त्वं सत्त्ववतामहम् ॥
संधि विच्छेद
द्यूतं छलयताम् अस्मि तेजः तेजस्विनाम् अहम् । जयः अस्मि व्यवसायः अस्मि सत्त्वं सत्त्ववताम् अहम् ॥
छल करने वालों का मैं द्यूत हूँ| मैं तेजस्वियों का तेज हूँ | मैं [परिश्रम करने वालो के लिए] विजय हूँ, दृढ संकल्प करने वालों का मैं निश्चय और सात्विक पुरुषों का सत्य हूँ॥