अ 10 : श 40
नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥
संधि विच्छेद
न अन्तः अस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।
एष तु उद्देशतः प्रोक्तः विभूतेः विस्तरो मया ॥
हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का कोई अन्त नहीं| मैंने जिन विभूतियों का वर्णन किया वह तों मेरे विभूतियों के अनंत विस्तार के उदहारण मात्र हैं