अध्याय10 श्लोक6 - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

अध्याय 10 : विभूति योग

अ 10 : श 06

महर्षयः सप्त पूर्वे चत्वारो मनवस्तथा ।
मद्भावा मानसा जाता येषां लोक इमाः प्रजाः ॥

संधि विच्छेद

महर्षयः सप्त पूर्वे चत्वारो मनवः तथा ।
मत् भावा मानसा जाता येषां लोक इमाः प्रजाः ॥

अनुवाद

पूर्व में सात महर्षि और चार मनु सभी मेरे संकल्प से ही उत्पन्न हुए है | विश्व के सभी [दूसरे] मनुष्य इनके [सात ऋषियों और चार मनु के] वंशज हैं|

व्याख्या

इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण सात ऋषियों और चार मनु की उत्त्पत्ति का रहस्य बता रहे हैं| श्रृष्टि के आरम्भ में देवताओं और अन्य उच्च कोटि के प्राणियों के साथ सात ऋषियों की उत्पत्ति की गई| इसी प्रकार प्रत्येक युग में मनुष्य का नेतृत्व मनु करते हैं| सारांश में किसी युग का मनु उस युग के मनुष्यों के वर्ग को इंगित करते हैं|

यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि कल्प और युगों की गणना एक गंभीर विषय है | एक कल्प को कई मन्वंतर और और हर एक मन्वंतर को युगों में विभाजित किया जाता है| कुछ विद्वान युगों का भी आगे विभाजन, महायुग और युग के रुप में करते हैं|
वैसे इन सभी सिधान्तों में चार युगों का सिद्धांत सर्व मान्य है| हर एक युग में अलग मनु और सात ऋषि होते हैं| मनु और सात ऋषियों से उस युग में आगे समाज का निर्माण होता है|

चार मनु
----------
१. स्वयम्भू
२. स्वरोचित
३. रैवत
४. उत्तम

उस युग में जिसमे मनु स्वयम्भू हैं में सात ऋषि इस प्रकार हैं
-----------
१ मारीच
२.अत्री
३.अंगीरस
४.पुलत्स्य
५.पुलह
६ क्रतु
७ वशिष्ठ

उत्तम मनु के युग में सात ऋषि इस प्रकार कहीं
कौकुंधी
कुरुन्दी
दलव
संख
प्रवाहित
मित
समित
इसी प्रकार स्वरोचित मनु एक युग में सात ऋषि इस प्रकार हैं
उर्ज
स्तंभ
प्राण
नन्द
रिषभ
निश्चर
अर्वरिवत

रैवत मनु के युग में सात ऋषि इस प्रकार हैं

हिरान्यरोम
वेदासरी
उर्धबाहू
वेदबहू
सुधामन
प्रजन्य
महामुनि
ऊपर के श्लोक के कई साधको को एक भ्रम हो सकता है, वह यह कि कई शास्त्रों में स्वयं श्रीमद भगवद गीता में यह वर्णित है देवताओं और श्रृष्टि के रचना ब्रम्हा ने की | जबकि इस श्लोक में कहा जा रहा है कि देवताओं, ऋषियों और मनु की रचना भगवान श्री कृष्ण ने की|
तथ्य यह है कि दोनों ही कथन सत्य हैं| इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने यह स्पस्ट किया है कि ऋषियों और मनु की रचना उनके संकल्प या उनकी अनुमति से उनकी शक्ति के आधार पर की गई| भले ही भौतिक रूप से देवताओं औरऋषियों की रचना ब्रम्हा करते हैं लेकिन उन सभी रचना के पीछे संकल्प शक्ति और अनुमति भगवान श्री कृष्ण की है| श्री कृष्ण का संकल्प या मनोभाव ही है जिससे सभी जीवों की रचना हुई, अध्याय १४.3 में इसी तथ्य को स्पस्ट रूप से वर्णित किया गया है