किरीटिनं गदिनं चक्रिणं च तेजोराशिं सर्वतो दीप्तिमन्तम् ।
पश्यामि त्वां दुर्निरीक्ष्यं समन्ताद्दीप्तानलार्कद्युतिमप्रमेयम् ॥
संधि विच्छेद
किरीटिनं गदिनं चक्रिणं च तेजोराशिं सर्वतः दीप्तिमन्तम् ।
पश्यामि त्वां दुर्निरीक्ष्यं समन्तत् दीप्त-अनल अर्क द्युतिम् प्रमेयम् ॥
अनुवाद
मै आपका मुकुट, गदा, चक्र से युक्त प्रकाश पुंज के समान तेजोमय और चारो ओर दीप्यमान स्वरूप देखता हूँ जो अग्नि और सूर्य के समान ज्योतिर्मय है और जिसे देख पाना अत्यंत कठिन है(अर्थात जिसके ऊपर नेत्र टिकाना कठिन है)