अध्याय11 श्लोक23 - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

अध्याय 11 : विश्व रूप दर्शन

अ 11 : श 23

रूपं महत्ते बहुवक्त्रनेत्रंमहाबाहो बहुबाहूरूपादम्‌ ।
बहूदरं बहुदंष्ट्राकरालंदृष्टवा लोकाः प्रव्यथितास्तथाहम्‌ ॥

संधि विच्छेद

रूपं महत्ते बहु वक्त्र नेत्रंम् महाबाहो बहुबाहू उरू पादम्‌ ।
बहु उदरं बहु दंष्ट्रा करालं दृष्टवा लोकाः प्रव्यथितः तथा अहम्‌ ॥

अनुवाद

हे महाबाहो (विशाल भुजाओं वाले अर्थात श्री कृष्ण)! आपके अनेकों मुख, अनेकों नेत्र, अनेकों हाथ, जंघा और पैरों, अनेकों उदर और तीव्र दांतों वाले विकराल रूप को देखकर मेरे सहित तीनो लोक [के प्राणी] [भय से] व्याकुल हो रहे हैं॥

व्याख्या

अर्जुन के सामने अब भगवान श्री कृष्ण का विकराल रूप प्रकट हो रहा है जिसमे भगवान श्री कृष्ण सृष्टि के संहारक के रूप में प्रकट हो रहे हैं, उनके अनेको मुख, नेत्र, भुजाएं, पैर, जंघाएँ उदर और तीव्र दांत ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे वह सृष्टि को अभी नष्ट कर देंगे|

ऐसा विकराल रूप देखकर तीनो लोकों के वह सभी प्राणी जो श्री कृष्ण को देख सकते हैं भय से थर थर कांप रहे हैं| अर्जुन भी भय से व्याकुल हो रहा है| यह ध्यान रहे की तीनो लोक से यहाँ अर्थ वह प्राणी, जैसा इसके पहले श्लोक में वर्णित है से है| वह प्राणी हैं:
रूद्र,आदित्य, वसु, साध्यगण, विश्वदेव गण, अश्वनीकुमार,मारुत और पितृगंण तथा गन्धर्व, राक्षस, सिद्ध|

मनुष्य में कुछ ऋषि और सिद्ध योगियों के अलावा कोई अन्य भगवान श्री कृष्ण के इस स्वरूप को नहीं देख सकता था अतः यह विवरण उनके ऊपर लागु नहीं होता|

यहाँ एक और बात ध्यान देने योग्य है कि महाबाहो शब्द का प्रयोग श्री कृष्ण के लिए हुआ है| दूसरे श्लोकों में इस शब्द का प्रयोग श्री कृष्ण ने अर्जुन के लिए किया है| महाबाहो का अर्थ होता है विशाल भुजाओं वाले| कई वीर जो बड़े योद्धा थे, धनुष और वाण चलाते थें उनकी भुजाये बड़ी होती थी| उन सब के लिए यह शब्द प्रयुक्त हो सकता है|भगवान राम, भगवान कृष्ण भी विशाल भुजाओं वाले वीर योधा थे | अतः उनके लिए भी यह शब्द प्रयुक्त होता है|