अर्जुन बोले: हे जनार्दन ! आपके इस सौम्य मनुष्य रूप को देखकर मेरा चित स्थिर हो गया है(मन शांत हो गया है) और मैंने अपनी स्वाभाविक प्रकृति को पुनः हो गया हूँ|
व्याख्या
श्री कृष्ण का विश्व रूप देखकर अर्वुन भय और आश्जर्च से व्ययाुल हो गया था, तब अर्कुन ने श्जी कृष्र से अपना विश्णरूप त्वागने और चतुर्युज रूप दिखाने का आग्भह किया|अर्जुन के आग्रह श्री कृष्ण ने अपना विश्वरूप त्याग दिया और अपना चतुर्भुज रूप दिखाया और उसके बाद वह अपने मनुष्य रूप में वापस गए| श्री कृष्ण का सौम्य और सुंदर मनुष्य रूप वापस देखकर अर्जुन का अधीर मन शांत हो जाता है और अपने स्वभाव में वापस आ जाता है|