अध्याय2 श्लोक13 - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

अध्याय 2 : सांख्य योग

अ 02 : श 13

देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा ।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति ॥

संधि विच्छेद

देहिनः अस्मिन यथा देहे कौमारं यौवनं जरा ।
तथा देहान्तर प्राप्ति धीरः तत्र न मुह्यति ॥

अनुवाद

जैसे शरीर में बाल्यावस्था से युवावस्था और युवावस्था से वृद्धावस्था में परिवर्तन होता है वैसे ही आत्मा के लिए एक शरीर से दूसरे शरीर में परिवर्तन होता है| धीर पुरुष(धैर्यवान मनुष्य) इस परिवर्तन से विचलित नहीं होते|

व्याख्या