अध्याय2 श्लोक23 - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

अध्याय 2 : सांख्य योग

अ 02 : श 23

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥

संधि विच्छेद

न एनं छिन्दन्ति शस्त्राणि न एनं दहति पावकः ।
न च एनं क्लेदयन्ति आपः न शोषयति मारुतः ॥

अनुवाद

इसे (इस आत्मा को) शस्त्र काट नहीं सकते, इसको आग जला नहीं सकता, जल इसे गला नहीं सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकता ।

व्याख्या

आत्मा एक शरीर को छोडकर दूसरे शरीर को ग्रहण करता है इस रहस्य को बताने के बाद भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को आत्मा के अनंत होने का गुण बताया| कृपा सिंधु ने यह स्पस्ट किया कि आत्मा किसी भी भौतिक घटनाओ द्वारा प्रभावित नहीं होता| इसे किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त नहीं किया जा सकता| किसी भी शस्त्र से इसे भेद नहीं जा सकता, जल, वायु और अग्नि भी इस आत्मा पर कोई प्रभाव नहीं दाल सकते|
यह आकाश के सदृश एक समान स्थिर और नित्य रहता है| यह ब्रम्हांड के किसी भी कोने में गति कर सकता है और हमेशा एक समान रहता है, न घटता है, न बढता है| आत्मा पूर्ण रूप से अनंत है|