दोनों सेनाओं का विवरण और अर्जुन का युद्ध से विषाद
सांख्य योग
कर्म योग
ज्ञान योग
कर्म सन्यास योग
राज या ध्यान योग
अध्यात्म योग
अक्षर ब्रम्ह योग
राज विद्या राज गुह्य योग
विभूति योग
विश्व रूप दर्शन
भक्ति योग
पुरुष और प्रकृति
प्रकृति के तीन गुण
पुरुषोत्तम योग
दैवीय और दानवीय चरित्र
श्रद्धात्रयविभाग योग
मोक्ष सन्यास योग
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अ 02 : श 39
एषा तेऽभिहिता साङ्ख्येा बुद्धिर्योगे त्विमां श्रृणु । बुद्ध्या युक्तो यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि ॥
संधि विच्छेद
एषा ते अभिहिता साङ्ख्ये बुद्धिः र्योगे तुम इमां श्रृणु । बुद्ध्या युक्तः यया पार्थ कर्मबन्धं प्रहास्यसि ॥
हे पार्थ ! अभी तक मैंने के सांख्य में बुधि को स्थित करने का वर्णन किया(अर्थात सांख्य के सिद्धांत का वर्णन किया) | अब मुझसे योग में बुधि को स्थित करने के विषय में सुनो | इस योग से युक्त होने पर तुम कर्मो के बंधन से मुक्त हो जाओगे |