व्यवसायात्मिका बुद्धिः एक इह कुरुनन्दन । बहुशाका ही अनन्तः च बुद्धयः अव्यवसायिनाम् ॥
अनुवाद
हे कुरुनन्दन(कुरु वंशी अर्थात अर्जुन)! जो [मनुष्य] इस पवित्र मार्ग का अनुसरण करते हैं उनकी बुद्धि दृढ और स्थिर होती है| और जो इस मार्ग(योग) का अनुसरण नहीं करते उनकी बुद्धि भ्रमित और बिखरित होती है|