अर्जुन उवाच स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव । स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम् ॥
संधि विच्छेद
अर्जुन उवाच स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव । स्थितधीः किं प्रभाषेत किम् आसीत व्रजेत किम् ॥
अनुवाद
अर्जुन ने पूछा: हे केशव [परमात्मा की] समाधि में स्थित स्थिर बुद्धि मनुष्य की क्या पहचान है? उसके बोलने की भाषा कैसी होती है? वह कैसे [उठता] बैठता है? और कैसे चलता है?
व्याख्या
भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को समाधि की महिमा बताई और यह स्पस्ट किया कि जिसकी बुद्धि ईश्वर में स्थित हो जाती है उसके सभी कर्म पवित्र हो जाते हैं और वह मोक्ष का भागी होता है|
तब अर्जुन ने भगवान से समाधि में स्थित मनुष्यों की पहचान पूछी | समाज में किसी व्यक्ति को देखकर कैसे पता किया जाये कि वह ज्ञानी है या नहीं?