न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो-यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः । यानेव हत्वा न जिजीविषाम-स्तेऽवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः ॥
संधि विच्छेद
न चै एतत् विद्मः कतरत् नः गरीयः यत् वा जयेम यदि वा नो जयेयुः । यान एव हत्वा न जिजीविषामः ते अवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः ॥
अनुवाद
हम यह भी नहीं जानते कि हमारे लिए क्या श्रेष्ठ है – युद्ध में उनको परास्त करना या उनसे परास्त होना ? दुःख तो यह है कि जिन धृष्टराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हम जीना नहीं चाहते वही हमारे सामने [युद्ध के लिए ] खड़े हैं |