अध्याय4 श्लोक8 - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

अध्याय 4 : ज्ञान योग

अ 04 : श 08

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्‌ ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

संधि विच्छेद

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्‌ ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

अनुवाद

सज्जन (अच्छे) पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पापियों का नाश करने के लिए और धर्म की संस्थापना (पुनः स्थापना) के लिए मैं युग युग में अवतार लेता हूँ।

व्याख्या

ऊपर के श्लोक, श्रीमद भगवद गीता के सबसे विख्यात श्लोकों में से एक है, जो भी श्रीमद भगवद गीता थोडा भी जानता है वह ऊपर के अंतिम दो श्लोको को तो अवश्य ही जानता है|

ये श्लोक सिर्फ विख्यात ही नहीं बल्कि सबसे महत्वपूर्ण श्लोक भी हैं| इन तीन श्लोकों में भगवान श्री कृष्ण के अवतार और उनके कारण का पूर्ण स्पस्ट वर्णन है| यही नहीं भक्तो के लिए यह श्लोक सबसे महत्व पूर्ण हैं और भक्त का आधार है| इन श्लोकों में भगवान ने यह स्पस्ट घोषणा की है कि पुण्य भक्तों के उद्धार के लिए वह स्वयं हर युग में अवतार लेंगे और धर्म की रक्षा करेंगे|
ऊपर के श्लोक भगवान अवतार की व्याख्या और अवतार के कारणों का वर्णन करते हैं| जैसा कि कई लोग अवतार और साधारण मनुष्यों के जन्म मरण को एक ही समझते हैं| यह गलत है| भगवान ने स्पस्ट किया कि वह अजन्मा और अव्यय है| लेकिन अपनी शक्ति को अधीन करके वह लौकिक शरीर के रूप में अपने आप को बांधना स्वीकार करते हैं और लौकिक लीला करते हैं|
अवतार के निम्न कारणों का वर्णन किया है भगवान ने

१. मनुष्य की भक्ति का सम्मान करने के लिए
भगवान ने श्लोक ४.६ में कहा कि हालाकि वह अजन्मा और सभी जीवों के ईश्वर हैं| सारी शक्तियां उनके अधीन हैं और उनके लिए लौकिक जगत में आने का अपना कोई कारण नहीं है, लेकिन धर्म की सत्ता और उसके विश्वास को बनाये रखने के लिए तथा भक्तों की भक्ति का सम्मान करने के लिए वह लौकिक लीला करना स्वीकार करते हैं| उनकी यही लौकिक लीलाएं युग युगांतर तक मनुष्य में भक्ति और धर्म के प्रति विश्वास को कायम रखता है|

२. धर्म की पुनर्स्थापना करने के लिए
भगवान ने यह स्पस्ट किया कि जब कभी ऐसा होता है कि जीवों में धर्म का पतन होने लगता है और अधर्म में वृद्धि होती है और वह मनुष्यों की शक्ति के बाहर चली जाती है| तब मानवता की रक्षा और धर्म को स्थापित करने के लिए वह स्वयं प्रकट होते हैं और कर्म के सिद्धांत के अंदर रहते हुए वह धर्म को पुनर्स्थापित करते हैं