अध्याय8 श्लोक19 - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

अध्याय 8 : अक्षर ब्रम्ह योग

अ 08 : श 19

भूतग्रामः स एवायं भूत्वा भूत्वा प्रलीयते ।
रात्र्यागमेऽवशः पार्थ प्रभवत्यहरागमे ॥

संधि विच्छेद

भूतग्रामः स एव अयं भूत्वा भूत्वा प्रलीयते ।
रात्रि आगमे एवशः पार्थ प्रभवन्ति अहह आगमे ॥

अनुवाद

हे पार्थ! जीवों का यह समूह (सभी जीव) बार बार प्रकट और विलीन होते हैं| [ब्रम्हा की] रात्रि के आगमन पर [सभी जीव] विलीन हो जाते हैं और [ब्रम्हा के] दिन के आगमन पर पुनः प्रकट होते हैं|

व्याख्या

इसके पहले श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने मौलिक जगत के निर्माण और प्रलय की प्रक्रिया का वर्णन किया| इस श्लोक में भगवान यह स्पस्ट कर रहे हैं कि मौलिक जगत में निवास कर रहे सभी जीव उसी निर्माण और प्रलय की प्रक्रिया के अनुरूप निर्मित और विलीन होते हैं| ब्रम्हा के दिन के आरम्भ पर जब मौलिक जगत प्रकट होता है तों जीवन का पुनः आरम्भ होता है| और जब ब्रम्हा का दिन समाप्त होता है और रात्रि का आगमन होता है तों सभी जीव मौलिक जगत के साथ ही विलीन हो जाते हैं|

यहाँ यह ज्ञात हो कि इस प्रकट होने और विलीन होने की प्रक्रिया में आत्मा नष्ट नहीं होती| बल्कि जैसा दूसरे श्लोक में वर्णित है मौलिक जगत भगवान श्री कृष्ण की शक्ति माया से उत्पन्न होती है और आत्माएं ब्रम्ह से | दोनों शक्तियां ईश्वर के अनंत गर्भ(हिरण्यगर्भ ) से उत्पन्न होती है और उसी में विलीन होती है| माया भौतिक पदार्थों को धारण कराती है और ब्रम्ह जीवन को | इन दोनों के समन्वय से ही जीवों की उत्पत्ति होती है|माया का रूप शरीर और ब्रम्ह का रूप आत्मा के मिलने से जीव अस्तित्व में आता है| दोनों में से एक की भी कमी से लौकिक जीव का होना संभव नहीं|

जैसा अध्याय १३ में वर्णित है कि माया और ब्रम्ह दोनों ही अनंत हैं| यह दोनों शक्तियां अंततः भगवान श्री कृष्ण के अधीन हैं| जो लोग इसके आगे द्वैत और अद्वैत का सिद्धांत समझना चाहते हैं उनके लिए माया, ब्रम्ह के इस विषय को जानना लाभकारी है| वास्तव में द्वैत और अद्वैत सिद्धांत रूप में एक ही है| अगर हम माया और ब्रम्ह पर विषय को केंद्रित करें तों यह द्वैत है| अगर इसके आगे जाकर हम यह जाने कि माया और ब्रम्ह ईश्वर की शक्ति के दो रूप है और एक ही श्रोत से बने हैं तों यह अद्वैत है|

शब्दार्थ
अहह = दिन
आगम = आना
आगमे = आने पर
प्रभवति = होना, प्रकट होना, उत्पन्न होना
भूत = जीव
ग्राम = गाँव, समूह, जीवों का समूह
भू = होना
भूत्वा = होकर
प्रलय = विलीन होना, प्रलय
प्रलीयते = प्रलय होता/होते है/हैं