देवता मनुष्यों के सबसे निकटतम अभिभावक - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

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देवता मनुष्यों के सबसे निकटतम अभिभावक

“ओम् नमो भगवते वसुदेवायः”

देवता(या देव), यह एक ऐसा विषय है जिसपर बहुत भ्रम व्याप्त है, खासकर पक्षिम के देशो में| अज्ञानतावश या हिंदू धर्मं के प्रति गलत मंशा के कारण कुछ लोग इन देवतायों कों “कई भगवान” कहकर दुस्प्रचारित कर रहे हैं |
जैसा कि पहले बताया जा चूका है कि, देवता मनुष्य से उत्तम प्राणी है और देवलोक में निवास करते हैं| वे भगवान श्री विष्णु के अधीन रहकर ब्रम्हांड में स्थित सभी लोकों(जिनकी संख्या १४ बताई जाती है)
के जीवो का भरण पोषण करते हैं|

देवता मनुष्य के सबसे नजदीकी अविभावक हैं | देवता पृथ्वी के जीवों का पालन करते हैं | मनुष्य विभिन्न प्रकार से पूजा करके देवतों कों प्रसन्न करते हैं और देवता मनुष्यों के जीवन यापन से सम्बंधित सभी साधन उपलब्ध कराते हैं | इस प्रकार देवता और मनुष्यों का आपस का सम्बन्ध परमात्मा द्वारा निर्धारित किया गया है | प्रथ्वी पर सुख समृधि के लिए इस सम्बन्ध क कायम रहना अति आवश्यक है | यह विवेचन इसी विषय पर है |

परमात्मा श्री कृष्ण ने इस तथ्य क स्पस्ट विवरण दिया है | कृपया इन श्लोकों पर गौर करें:
Ch3:Sh11
देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः ।
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ ॥

तुम लोग इस यज्ञ द्वारा देवताओं को प्रसन्न करो और वे देवता तुम लोगों का पालन(देखभाल) करें। इस प्रकार निःस्वार्थ भाव से एक दूसरे में सामंजस्य रखते हुए तुम(देवता और मनुष्य) परम कल्याण को प्राप्त होगे॥

Ch3: Sh 12
इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः ।
तैर्दत्तानप्रदायैभ्यो यो भुंक्ते स्तेन एव सः ॥

यज्ञ द्वारा प्रसन्न हुए देवता तुम लोगों को जीवन के लिए आवश्यक साधनों कों उपलब्ध कराएँगे । देवताओं द्वारा प्रदित वस्तुओं कों जो मनुष्य दूसरों में विभाजित किये ही सिर्फ स्वयं भोगता है वह एक प्रकार से चोर ही है॥12॥

ऊपर के श्लोकों से हम निम्न तथ्य कों अलग कर सकते हैं :
१. देवता मनुष्यों के(एवं अन्य जीवों के) पालनकर्ता हैं
२. मनुष्य विभिन्न प्रकार से पूजन कर देवतायों कों प्रसन्न करें
३. देवता मनुष्यों कों उनकी जीवन से सम्बंधित साधनों कों उपलब्ध कराएँ

मुझे नहीं लगता किसी कों भी इससे ज्यादा स्पस्ट विवरण चाहिए | यह स्पस्ट वर्णित है कि देवता पृथ्वी के पालन कर्ता हैं | परमात्मा द्वारा उनका निर्माण इसी उद्देश्य के लिए किया गया है | और इसी विधान के अंतर्गत मनुष्यों कों देवताओं के पूजन का प्रावधान है | देवता एवं मनुष्यों का यह सम्बन्ध विधाता द्वारा निर्मित है |

देवता विधाता द्वारा निर्मित उस संचालन व्यवस्था के अंग हैं जो ईश्वर के नियमों कों लागु कराते हैं | जिस प्रकार एक कंपनी में ऊपर से लेकर नीचे तक एक अनुक्रम होता है| दैवीय नियम भी उसी प्रकार अनुक्रम(hierarchy) से लागु होते हैं | मनुष्य उसी अनुक्रम का एक हिस्सा है | मनुष्य प्रथ्वी पर सबसे उत्तम स्थान पर है, बाकि सारे जीव मनुष्य से निम्न हैं| मनुष्य से ऊपर देवता हैं | सबसे ऊपर भगवान श्री विष्णु श्री ब्रम्हा एवं श्री शिव के साथ पुरे ब्रम्हांड का स्वामित्व करते हैं |

इस तथ्य कों जानने के बाद हममे से किसी के मन में लेशमात्र भी शंका नहीं रहनी चाहिए | हमें निःसंकोच सभी देवताओं का श्रधा पूर्वक पूजन कर उन्हें हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए ताकि पृथ्वी पर समृधि बनी रहे |

“श्री हरि ओम् तत् सत्”