List - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

पुरुष और प्रकृति

जीवन के दो इकाई हैं एक है शरीर और दूसरा वह जिससे शरीर में जीवन का संचालन होता है | इस दूसरी इकाई को पुरुष कहा जाता है | दूसरे ग्रंथों में इन्हें जड़ और चेतन भी कहा जाता है | पुरुष आत्मा का सुपरसेट है | आत्मा एक शरीर और एक जीव के लिए प्रयोग होता है, जबकि पुरुष सम्पूर्ण ब्रम्हांड के लिए | आत्मा ही नहीं पुरुष शब्द से परमात्मा की भी सम्बोधन होता है | इस प्रकार इस ब्रम्हांड के सम्पूर्ण पदार्थो जीवित या अजीवित को दो वर्गों मी रखा जा सकता है , पुरुष और प्रकृति | सभी जड़ तत्व प्रकृति और सभी चेतन आत्मा और परमात्मा तत्व पुरुष |

आत्मा और जीवन

इस ब्रम्हांड में बहुतेरे रहस्य हैं और उन सब में एक है जीवन | जीवन से जुडी हर एक चीज़ अत्यंत रोचक, होमहर्षक और रहस्यमयी है | नाना प्रकार की जीव अपने अपने शरीरों और अपने वातावरण में इस प्रकार से स्थित हैं जैसे वह उसी के लिए बने हैं| यह मानना सही भी होता अगर इस जीवन में मृत्यु नाम की चीज़ नहीं होती | एक जीव एक समय में होता है और फिर दूसरे समय में नहीं | यह जीवन के रहस्य को और भी गहरा कर देता है | जीवन से सम्बंधित अलग अलग धर्मो में अलग अलग मान्यताएं हैं | सनातन धर्म (हिन्दू धर्म ) की सिद्धांतों के अनुसार जीवन आत्मा द्वारा किसी शरीर को धारण करने की प्रक्रिया का नाम है | आत्मा जो स्वयं अजर और अमर है एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर को धारण करता है और इस प्रकार जीवन की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है | "आत्मा और जीवन " की इस श्रेणी की आत्मा और जीवन से जुड़े हर विषयों की चर्चा है |

देवता

हिन्दू धर्म के ईश्वर की साथ देवताओं की अवधारणा है | ईश्वर इस सृष्टि का सर्वोच्च इकाई है परन्तु सृष्टि के सभी छोटे बड़े कार्य वह स्वयं नहीं करता, बल्कि प्रकृति के सुचारु रूप से सञ्चालन के लिए ईश्वर ने अपने नीचे तथा मनुष्यों के ऊपर देवताओं का निर्माण किया | हिन्दू धर्म की मान्त्यता के अनुसार मनुष्य और दूसरे जीवों की भौतिक और आवश्यकताओं की पूर्ति उनके सञ्चालन का अधिकार देवताओं का है | मनुष्य यज्ञ और दूसरी विधियों से इन देवताओं की साधना करते हैं | इस प्रकार मनुष्यों और देवताओं का संबंध परमपिता ब्रम्हा द्वारा सृष्टि के आरम्भ निर्धारित किया गया | ईश्वर के साथ देवताओं की साधना के कारण ही हिन्दू धर्म को बहु देववादी धर्म माना जाता है |