पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार, ये आठ प्रकार के तत्व जिससे यह सृष्टि बनी है मेरी ही मेरी ही प्रकृति से उद्धृत हैं।
ये आठ मेरी निन्म प्रकृति हैं| हे महाबाहो, इनके अलावा मेरी शक्ति का उतम रूप है जीवभूत (अर्थात जीवन शक्ति), जिससे पूरी सृष्टि में जीवन स्थित है॥
[इस श्रृष्टि में] सबकुछ और सभी जीव [मेरी] इन [दो शक्तियों] से निर्मित हैं, इस प्रकार यह जान लो मैं कि इस श्रृष्टि का श्रृजनकर्ता और प्रलयकर्ता हूँ|