कर्म योग - श्रीमद भगवद गीता

श्रीमद भगवद गीता

कर्म योग

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श्री रामानुजाचार्य के अनुवाद का हिंदी अनुवाद
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भले ही कमियां हों लेकिन अपना कर्तव्य दूसरे के लिए निर्धारित कर्तव्य से उत्तम है| अपने कर्तव्य करते हुए मृत्यु भी श्रेयकर है जबकि दूसरे के लिए निर्धारित कर्तव्य तो भयावह है(पतन देने वाला है) |

श्री माधवाचार्य के अनुवाद का हिंदी अनुवाद
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भले ही कमियां हों लेकिन अपने स्वभाव(रूचि या सामर्थ्य) के अनुसार कर्म करना दूसरे के स्वभाव(रूचि या सामर्थ्य) के अनुसार कर्म करने से कहीं उत्तम है| अपनी रूचि के लिए कर्म करते हुए मृत्यु भी श्रेयकर है जबकि किसी दूसरे के मतानुसार (रूचि के अनुसार) कर्म करना भयावह है(पतन देने वाला है) |