अनुष्ठान(क्रतु) मैं हूँ, यज्ञ मैं हूँ, स्वधा मैं हूँ, औषधि मैं हूँ| मंत्र मैं हूँ, घृत मैं हूँ, अग्नि मैं हूँ और हवन भी मैं ही हूँ॥16॥
इस जगत का पिता मै हूँ,माता धाता(धारण करने वाला) और पितामह मै हूँ| [सबके] जानने योग्य पवित्र ओम् मैं हूँ और ऋगवेद, सामवेद और यजुर्वेद भी मैं हूँ| ॥17॥