कुछ योगी देवताओं [उपयुक्त अनुष्ठान कर] देवताओं की उपासना रूपी यज्ञ(देव यज्ञ) करते हैं| अन्य [योगी] ब्रम्ह रूपी अग्नि में अपनी आत्मा [रूपी हवन] को समर्पित करके [ब्रम्ह] यज्ञ करते हैं|
कुछ [योगी] कर्ण [नेत्र,नाक,जिव्हा, त्वचा] आदि इन्द्रियों को संयम रूपी अग्नि में अर्पित करते हैं| वही अन्य [योगी] शब्द [स्वाद,दृश्य, गंध,स्पर्श] आदि विषयों को इन्द्रिय रूपी अग्नि में अर्पित करते हैं|